Thursday, January 28, 2010

माँ

एक शब्द ही नहीं,
ममता का रूप हो तुम|
हर कदम मिलने वाली,
छाँव और धुप हो तुम|
भर दे जो जीवन को,
जिस प्रेम एवं आशिर्वाद से,
वो एहसास हो तुम|
क्युं लगे मेरी माँ ,
की कहीं आसपास हो तुम|

मुश्किलों में तुम हो सहारा,
एक अपना है हमारा|
जिसने ये जीवन सवारा,
वो एहसास हो तुम|
क्युं लगे मेरी माँ,
की कहीं आसपास हो तुम|

हमारी नींद जिनकी,
जागती आँखों में सोती|
जो हमारे कष्टों में,
पल-पल रोती|
जन्म ही नहीं,
जीवन भी दिया तुमने|
इसलिए ख़ास हो तुम|
क्युं लगे मेरी माँ,
की कहीं आसपास हो तुम|