Thursday, April 18, 2013

कौन जिम्मेदार....?














जब संवेदना वेदना बन भीख मांगती रही,
जब नज़रें राहगीरों को उम्मीद बन ताकती रही।
जब जिंदगी ने भी हार कर कह दिया अलविदा,
अब किस पल का करोगे इंतज़ार,
कि कौन है जिम्मेदार,
हम, तुम या फिर सरकार।

ऐसा क्युं महसूस होता,
की क्या है ये भावनाएँ ?
ऐसा क्यूँ अहसास होता,
की मृत हो चुकी है संवेदनाएँ।
"सोच बदलो देश बदलेगा",
ऐसे सोच पनपने के नहीं दिखते आसार।
अब किस पल का करोगे इंतज़ार,
कि कौन है जिम्मेदार,
हम, तुम या फिर सरकार।

कौन है दोषी, कौन निर्दोष,
क्या यही सोचते रहेंगे हम,
कब आएगा हमे होश ?
जब इंसान ही इंसान की करे अवहेलना,
फिर कुछ कहना ही है बेकार,
अब किस पल का करोगे इंतज़ार,
कि कौन है जिम्मेदार,
हम, तुम या फिर सरकार।