Wednesday, February 23, 2011

छात्र संघ

छात्र संघ! आखिर है क्या ये छात्र संघ? क्या यह जिम्मेदार युवाओं का समूह है या फिर दबंग छात्रों का जमावरा जो देश के प्रति अपनी कोई जिम्मेदारी नहीं समझते| दिन प्रति दिन यह काफी जटिल प्रश्न बनते जा रहा है| लोकतंत्र के हर वर्ग के लोगों की छात्र संघ के प्रति अपनी एक मानसिकता है या कह सकते है एक परिभाषा है|

मेरा यह मानना है की शायद सरकार छात्र संघ की शक्ति से खौफ खाती है और समाज छात्र संघ को छात्रों का अपराधीकरण समझती है| इसकी छवि दिन प्रति दिन समाज के हर वर्ग में बिगरती जा रही है और लोगों के मन में एक असत्य मानसिकता घर कर रही है|

प्रथम हम सरकार की बात करते हैं| आज कल राजनीतिक पार्टियाँ विश्वविद्यालयों में घुसकर कुछ छात्रों को भोग-विलास से सम्बंधित प्रलोभन दे कर एक गुट का निर्माण करते हैं जिन्हें स्टुडेंट विंग ऑफ़ ऐबीसी पार्टी का नाम दिया जाता है| इससे छात्रों का विकास नहीं बल्कि विनाश होता है| छात्र हमेशा प्रलोभित वस्तु की वजह से नेताओं के पंजो तले दबे रह जाते हैं और अपराधिक कार्यों से भी संलग्न होने लगते हैं और उन छात्र नेताओं का विकास नहीं हो पाता जिनमें शिक्षा, नेतृत्व और समाज सेवा के गुण हो अर्थात जो सर्वगुण संपन्न हो| छात्रों के इसी रूप को देखकर इनकी सामाजिक छवि बिगरती जा रही है|

मगर छात्र राजनीती का एक दूसरा पहलु यह भी है की लाखों छात्रों में से एक ऐसा छात्र भी होता है जो अपने अथक प्रयास और परिश्रम पूर्ण कार्यों से समाज के नज़र में अपनी एक ऐसी छवि बनाने में सफल होता है जिसे समाज भी स्वीकार करती है पर ये नेता अक्सर किसी न किसी राजनितिक साजिश के शिकार हो जाते है|

पर अब वक्त आ गया है की हम धर्म और जाति से उठकर इनके अस्तित्व को इतना मज़बूत करें की इन्हें कोई साजिश का झोंका छु भी न पाए| ऐसे नेता के निर्माण का अर्थ है समाज का निर्माण और समाज के निर्माण का अर्थ है देश का निर्माण|

2 comments:

  1. मेरा ये मानना है कि एक अकेला युवा नेता ही किसी भी मसले को हल नहीं कर सकता।
    आज जो हमारी छवि लोगों के मन में बन गयी है, अगर उसे बदलना है तो हम सभी को मिल कर प्रयास करना होगा।
    हम गलत नहीं हैं, ये सबों को समझाना भी है और देश के भविष्य निर्माण में भी सहयोग करना है।

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  2. तुम्हारा कहना सही है पर शुरुआत तो किसी एक से ही होती है और उसी से समाज और जागरूक होता इसलिए कहीं न कहीं तो शुरुआत किसी एक को ही करनी होगी तभी तो और लोग साथ आयेंगे|

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