Sunday, August 23, 2009

राष्ट्र प्रेम

जब भी देश से सम्बंधित बातें होती हैं या देश का ख्याल इस मष्तिष्क अथवा जुबां पे होता है तो ह्रदय में एक ही जोश-ऐ-जूनून की अनुभूति होती है जिसे बयां करना मुश्किल ही नहीं असंभव है। हमारे जूनून का एक और महत्वपूर्ण कारक हमारा तिरंगा भी है जिसके लिए जितनी भी प्रेम दर्शायी जाए या इज्ज़त समर्पित की जाए कम ही होगी।

हम जिस देश में रहते हैं, उसके लिए ह्रदय में थोरी बहुत तो प्रेम और इज्ज़त होनी ही चाहिए। मेरे इस कथन का तात्पर्य यह है की आज दशक-दर-दशक लोगों की सोच में परिवर्तन होते जा रहा है। आज देश में कई ऐसे लोग और खास कर कुछ युवा हैं जिनके मष्तिष्क के शब्दकोष से राष्ट्र प्रेम, तिरंगे के प्रति इज्ज़त आदि शब्दों और वाक्यों का आभाव होते जा रहा है या है ही नहीं, जो की होना दुर्भाग्यपूर्ण ही नहीं बल्कि ग़लत भी है। मेरे अनुसार राष्ट्र का आदर करना माँ के आदर करने के बराबर है। इसलिए देश के हर नागरिक के ह्रदय में राष्ट्र के प्रति प्रेम और आदर होना अनिवार्य है।

मगर इन तथ्यों से हट कर देश को देखा जाए तो एक और दृश्य हमारे आंखों के सामने प्रस्तुत होता है जिसे हम सब कहते हैं "विविधता में एकता"। यह देश विविधताओं में एकता का प्रतिक है जिसमें विभिन्न धर्म, जाति और भाषाओँ के लोग रहते हैं परन्तु भिन्न होने के बावजूद इस तिरंगे की छाँव में इनकी एकता भी स्वयं प्रदर्शित होते रहती है।

इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपने वाक्यों को विराम देता हूँ।
जयहिंद




2 comments:

  1. bahut badhiya abhinav...great thinking on ur part and this is what i seek in every youth..
    congrats in making ur point across very clear..great work done..!!

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  2. achha likha. padh kar desh k liye karne ko jee kar raha tha.

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